B.Com. Semester-V MONETARY THEORY AND BANKING IN INDIA - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2809
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-5 भारत में मौद्रिक सिद्धान्त एवं बैंकिंग - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- मुद्रा का आशय एवं परिभाषा बताइये तथा उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।

अथवा
"मुद्रा में सामान्य स्वीकृति होनी चाहिए। इस कथन के गर्भ में मुद्रा के कार्यों की विवेचना कीजिए।
अथवा
मुद्रा की परिभाषा दीजिए। इसके मौलिक एवं आधुनिक कार्यों को उदाहरण सहित समझाइए।

सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1- मुद्रा से आप क्या समझते हैं?

उत्तर -

मुद्रा का आशय एवं परिभाषाएं
(Meaning and Definitions of Money)

जी. क्राउथर के अनुसार, "मुद्रा मनुष्य के मौलिक आविष्कारों में से एक महत्वपूर्ण आविष्कार है। ज्ञान की प्रत्येक शाखा की एक मौलिक खोज होती है। जिस प्रकार यन्त्रशास्त्र में पहिया, विज्ञान में अग्नि तथा राजनीतिशास्त्र में मत विशेष आविष्कारों के सूचक हैं, इसी प्रकार अर्थशास्त्र में भी मनुष्य के सामाजिक अस्तित्व के संपूर्ण व्यापारिक क्षेत्र में मुद्रा वह महान व आवश्यक आविष्कार है जिस पर अन्य सब आविष्कार निर्भर करते हैं।

अंग्रेजी भाषा का शब्द 'Money' लेटिन भाषा के शब्द 'Moneta' से व्युत्पन्न हुआ माना जाता है। 'मोनेटा' रोम (इटली) की देवी जूनो (Juno) का दूसरा नाम है। प्राचीनकाल में यह देवी स्वर्ग की देवी मानी जाती थी तथा इस देवी के मन्दिर में सिक्कों को ढाला जाता था। इस प्रकार देवी जूनो के मंदिर में बनायी गयी मुद्रा को मोनेटा कहा जाता था। कुछ समय के पश्चात् यह Money बन गया। कुछ विद्वानों के मतानुसार, Money शब्द को Pecunia शब्द से लिया गया है। शब्द Pecumia लेटिन भाषा के शब्द 'Pecus' से बना है। Pecus का अर्थ पशुधन से होता है। प्राचीनकाल में रोम में जानवरों को मुद्रा के रूप में उपयोग किया जाता था। इसलिए जानवरों एवं मुद्रा का एक ही अर्थ लगाया गया।

जॉन मेनार्ड कीन्स के अनुसार, "मुद्रा की संस्था मानव सभ्यता के अन्य सभी आवश्यक तत्वों के समान बहुत अधिक पुरानी है। मुद्रा की व्युत्पत्ति अतीत में निहित है। वास्तव में, मुद्रा के उद्गम स्रोत का अध्ययन करते-करते मानव इतिहास भी समाप्त हो जाता है परन्तु इसका स्रोत प्राप्त नहीं होता।"

मुद्रा का आशय उन सभी वस्तुओं से होता है, जिन्हें विनिमय के स्रोत के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसमें किसी के भी द्वारा संव्यवहार किया जा सकता है। इसका प्रयोग विनिमय के स्रोत तथा मूल्य के मापक के रूप में किया जाता है। इसे वस्तुओं के भुगतान एवं ऋणों के समाधान हेतु उपयोग में लाया जा सकता है।

मुद्रा की विभिन्न परिभाषाएं निम्नवत् हैं-

(a) मुद्रा की प्रकृति पर आधारित परिभाषाएं (Nature-based Definitions of Money) - ये निम्नलिखित हैं- 

1. मुद्रा की कारयात्मक अथवा वर्णनात्मक परिभाषायें (Functional or Descriptive Definitions of Money) - मुद्रा की कार्यात्मक या वर्णनात्मक परिभाषाएं निम्नलिखित हैं

वाकर के अनुसार, "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करे P

डब्ल्यू. ए. एल. कोलबर्न के अनुसार, "मुद्रा वह है जो मूल्य-मापक तथा भुगतान का साधन है।

हिटलसी के अनुसार, "यदि कोई वस्तु विशेष मूल्य निर्धारित करने में, वस्तुओं तथा सेवाओं का आदान-प्रदान करने में एवं अन्य मौद्रिक कार्यों में सामान्य रूप से प्रयोग की आती है तो वह मुद्रा ही है, चाहे इसकी कानूनी या भौतिक विशेषताएं कुछ भी हों

उपरोक्त परिभाषाएं केदल मुद्रा के कार्य के गुणों का वर्णन करती हैं।

2. मुद्रा की वैधानिक परिभाषायें (Legal Definitions of Money) - इस वर्ग में निम्नलिखित परिभाषायें आती हैं- 

 डब्ल्यू, हाट्रे के अनुसार, "कोई भी वस्तु जो राज्य के द्वारा मुद्रा घोषित कर दी जाती है, मुद्रा कहलाती है।"

प्रो. एफ. नेप के अनुसार, "सरकार के द्वारा घोषित की हुई वस्तु ही मुद्रा होती है।"

3. मुद्रा की सामान्य स्वीकृति पर आधारित परिभाषायें (Definitions based on General Acceptability) - ये निम्नलिखित हैं-

ऐली के अनुसार, "मुद्रा में सभी वस्तुएं सम्मिलित हैं जिन्हें समाज के अन्तर्गत सामान्य स्वीकृति प्राप्त हो

सैलिगमैन के अनुसार, "मुद्रा वह है इसे सर्वग्राह्यता प्राप्त हो।

राबर्टसन के अनुसार, "मुद्रा वह वस्तु है जिसे वस्तुओं की कीमत चुकाने तथा अन्य प्रकार के व्यावसायिक दायित्वों को निपटाने के लिए विस्तृत रूप से स्वीकार किया जाता है।

कैण्ट के अनुसार, "मुद्रा एक वस्तु है जिसे साधारणतया विनिमय के माध्यम अथवा मूल्य के मान के रूप में स्वीकार किया जाता है।

सभी ‘सामान्य स्वीकृति’ वाली परिभाषाओं की विशेषताएं निम्नवत् हैं-

(i) सामान्य स्वीकृति होना।
(ii) स्वीकृति का स्वतंत्र या ऐच्छिक होना।
(iii) मुद्रा का विनिमय का माध्यम व मूल्य का मापक दोनों होना।

(b) विद्वानों के अभिगम या दृष्टिकोण पर आधारित मुद्रा की परिभाषाएं (Definitions based on Approach or Viewpoint of Scholars) -

1. संकीर्ण परिभाषाएं (Narrow Definitons) - इस वर्ग की परिभाषाएं केवल धातु-मुद्रा को ही मुद्रा कहती हैं।

राबर्टसन से अनुसार, "मुद्रा एक ऐसी वस्तु है जो अन्य वस्तुओं के मूल्यों के भुगतान में या दूसरे व्यावसायिक दायित्वों को निपटाने में विस्तृत रूप से स्वीकार की जाती है।

प्राइस के अनुसार, "केवल धातु के सिक्के ही वास्तविक मुद्रा हैं।

(c) उपयुक्त अथवा आदर्श परिभाषाएं (Proper or Ideal Definitions) - ये परिभाषाएं निम्नलिखित हैं-

2. व्यापक परिभाषाएं (Wider Definitions) - ये निम्नवत हैं-

कार्ल हैफरिच के अनुसार, "मुद्रा शब्द से हम उन सम्पूर्ण वस्तुओं को समझते हैं जो किसी निश्चित आर्थिक क्षेत्र और निश्चित अर्थव्यवस्था में आर्थिक व्यक्तियों के मध्य आर्थिक सम्बन्धों को सुविधा प्रदान करने का सामान्य उद्देश्य रखती हैं।

हार्टले विदर्स के अनुसार, "मुद्रा वह है जो मुद्रा का कार्य करती है।'

इन परिभाषाओं के अनुसार धातु के सिक्के, करेंसी नोट, साख-मुद्रा आदि मुद्रा कहलाती हैं।

जे. एम. कीन्स के अनुसार, "मुद्रा वह वस्तु है जिसको देकर ऋण और मूल्य सम्बन्धी अनुबन्धों का भुगतान किया जाता तथा जिसके रूप में सामान्य क्रय-शक्ति का संचय किया जाता है।"

एल्फ्रेड मार्शल के अनुसार, "मुद्रा में वे सभी वस्तुयें शामिल हैं जो किसी विशेष समय अथवा स्थान पर बिना किसी प्रकार के सन्देह अथवा विशेष जांच के वस्तुओं व सेवाओं को क्रय करने तथा व्यय करने के समाधान के रूप में सामान्य तौर पर स्वीकार की जाती हैं।

प्रो. सिटोवस्की के अनुसार, "मुद्रा की अवधारणा को परिभाषित करना कठिन कार्य है क्योंकि वह एक नहीं तीन कार्य करती हैं जिनमें से प्रत्येक कार्य मुद्रात्व की कसौटी प्रदान करता है.... ये कार्य हैं-

(i) लेखे की इकाई,
(ii) विनिमय का माध्यम,
(iii) मूल्य का संग्रह

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- "मुद्रा वह धुरी है जिसके चारों ओर सम्पूर्ण अर्थतंत्र चक्कर लगाता है।" कथन को स्पष्ट कीजिए।
  2. प्रश्न- समाजवादी एवं नियोजित अर्थव्यवस्था में मुद्रा का क्या महत्व है?
  3. प्रश्न- मुद्रा का आशय एवं परिभाषा बताइये तथा उसके कार्यों को स्पष्ट कीजिए।
  4. प्रश्न- मुद्रा के मुख्य कार्य कौन-कौन से हैं? मुद्रा के द्वितीयक कार्य क्या होते हैं?
  5. प्रश्न- मुद्रा के आकस्मिक कार्यों का वर्णन कीजिए। पॉल इन्जिंग ने मुद्रा के कार्यों को कितने भागों में बांटा है?
  6. प्रश्न- मुद्रा की परिभाषा से सम्बन्धित विभिन्न दृष्टिकोण क्या हैं? मुद्रा के प्रमुख लक्षण बताइये।
  7. प्रश्न- "मुद्रा कई बुराइयों की जड़ है।" क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  8. प्रश्न- मुद्रा की पूर्ति से आप क्या समझते हैं? इन्हें प्रभावित करने वाले कारकों तथा पूर्ति के मापन की विधियां बताइये।
  9. प्रश्न- मुद्रा पूर्ति के मापक व संघटक बताइये।
  10. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा से क्या तात्पर्य है? उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  11. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के संघटकों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- मुद्रा के मूल्य से आप क्या समझते हैं? यह कैसे तय होता है?
  13. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा सामान्य मुद्रा (संकुचित मुद्रा) से किस प्रकार भिन्न होती है?
  14. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा एवं सामान्य मुद्रा में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- मुद्रा की माँग से आप क्या समझते हैं? मुद्रा की माँग किन-किन बातों से प्रभावित होती है?
  16. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के उपयोग व महत्व को बताइये।
  17. प्रश्न- उच्च शक्ति मुद्रा के स्रोत क्या हैं?
  18. प्रश्न- भारत में वित्तीय प्रणाली को सविस्तार समझाइये।
  19. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली की विशेषताएं बताइये।
  20. प्रश्न- वित्तीय प्रणाली के संघटक क्या हैं?
  21. प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि वित्तीय प्रणाली आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।.
  22. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ से आप क्या समझते हैं? वित्तीय मध्यस्थों के कार्यों का वर्णन कीजिए। "वित्तीय मध्यस्थ प्रतिभूतियों के व्यापारी होते हैं। क्या आप इस कथन से सहमत हैं?
  23. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों की कार्य एवं भूमिका का वर्णन कीजिए।
  24. प्रश्न- बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ एवं गैर-बैंकिंग वित्तीय मध्यस्थ में अन्तर बताइये। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं से आप क्या समझते हैं?
  25. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की भूमिका का वर्णन कीजिए।
  26. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थों के प्रकार बताइये।
  27. प्रश्न- वित्तीय मध्यस्थ क्या हैं?
  28. प्रश्न- वाणिज्य बैंकों के कार्यों की विवेचना कीजिए। वे किस प्रकार देश के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण हैं?
  29. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंक के प्रमुख एवं अभिकर्ता सम्बन्धी कार्य कौन-कौन से हैं? तथा उनके अन्य कार्य भी बताइए।
  30. प्रश्न- वाणिज्यिक बैंकों का देश के आर्थिक विकास में क्या महत्व है?
  31. प्रश्न- आधुनिक व्यापार एवं वित्त के संदर्भ में बैंकों की कमियाँ बताइये।
  32. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग व्यवस्था की प्रमुख कमियाँ बताइये।
  33. प्रश्न- शाखा बैंकिंग तथा इकाई बैंकिंग प्रणालियों से आप क्या समझते हैं? इनके गुण-दोषों की तुलना कीजिए तथा बताइये कि इन दोनों प्रणालियों में से कौन-सी प्रणाली भारत के लिए उपयुक्त है?
  34. प्रश्न- शाखा बैंकिंग के गुण-दोषों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली के गुण-दोषों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- इकाई बैंकिंग प्रणाली व शाखा बैंकिंग प्रणाली में कौन श्रेष्ठ है? स्पष्ट कीजिए। एक श्रेष्ठ बैंकिंग प्रणाली के लक्षण बताइये।
  37. प्रश्न- भारत में जनसमुदाय की भिन्न-भिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए कितने प्रकार के बैंकों का गठन किया गया है?
  38. प्रश्न- भारतीय बैंकिंग प्रणाली की संरचना पर प्रकाश डालिए।
  39. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक क्या हैं? इनके क्या कार्य हैं? ग्रामीण भारत में इनकी भूमिका तथा प्रगति का वर्णन कीजिए।
  40. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैकों की प्रगति व उपलब्धियाँ बताइये।
  41. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कमियों को दूर करने हेतु सुझाव दीजिए।
  42. प्रश्न- भारत में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की स्थापना के क्या उद्देश्य थे? क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव समझाइए।
  43. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों की कार्यप्रणाली के सम्बन्ध में केलकर समिति के सुझाव बताइए।
  44. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के कार्य विवरण पर टिप्पणी लिखिए।
  45. प्रश्न- वाणिज्य बैंक एवं क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक में अन्तर बताइए।
  46. प्रश्न- क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की कमियाँ व समस्याएँ बताइये।
  47. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्याएँ क्या हैं? इन्हें दूर करने के लिए सुझाव दीजिए। सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  48. प्रश्न- प्राथमिक कृषि साख समितियों के उन्नयन हेतु आप क्या सुझाव देंगे?
  49. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  50. प्रश्न- केन्द्रीय सहकारी बैंकों के सुधार हेतु सुझाव दीजिए।
  51. प्रश्न- भारत देश में राज्य सहकारी बैंकों की क्या समस्याएं हैं?
  52. प्रश्न- राज्य सहकारी बैंकों के विकास हेतु सुझाव दीजिए।
  53. प्रश्न- सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  54. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी समितियों की विशेषताओं को लिखिए।
  55. प्रश्न- भारत में सहकारी बैंक की कार्यप्रणाली पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  56. प्रश्न- सहकारी बैंक तथा वाणिज्यिक या व्यापारिक बैंक में अन्तर बताइए।
  57. प्रश्न- प्राथमिक सहकारी बैंक क्या है? उनकी ग्रामीण भारत में क्या भूमिका है?
  58. प्रश्न- भारत में राज्य सहकारी बैंकों का संगठन तथा कार्य समझाइये। राज्य सहकारी बैंकों को आप क्या सुझाव देंगे?
  59. प्रश्न- सहकारी साख संस्थाओं की प्रमुख समस्यायें क्या हैं? सहकारी साख ढाँचे को सुदृढ़ करने के लिए क्या सरकारी प्रयास किये गये हैं?
  60. प्रश्न- भूमि विकास बैंकों की समस्याओं का उल्लेख कीजिए।
  61. प्रश्न- साख का आशय, परिभाषायें तथा आवश्यक तत्वों का वर्णन कीजिए। साख के महत्व का वर्णन कीजिए।
  62. प्रश्न- साख का क्या महत्व होता है?
  63. प्रश्न- साख का वर्गीकरण किन आधारों पर किया जाता है? इसके वर्गीकरण को समझाइये।
  64. प्रश्न- समयावधि, उपभोग एवं सुरक्षा के आधार पर साख का वर्णन कीजिए।
  65. प्रश्न- स्वरूप के आधार पर ऋण का वर्गीकरण कीजिए। ऋण के आधार पर साख का वर्गीकरण कीजिए।
  66. प्रश्न- ब्याज के तरलता पसन्दगी सिद्धान्त की व्याख्या कीजिए।
  67. प्रश्न- संस्थागत साख के आवंटन को निर्धारित करने वाले वित्तीय एवं गैर- वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  68. प्रश्न- संस्थागत साख के आबंटन को निर्धारित करने वाले गैर-वित्तीय घटकों को स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- साख निर्माण की सीमाएँ बताइये।
  70. प्रश्न- तरलता प्रीमियम सिद्धान्त क्या है?
  71. प्रश्न- नवपरम्परावादी सिद्धान्त और पूर्ति क्या है? बॉण्ड की कीमत व बॉण्ड दर में क्या सम्बन्ध है?
  72. प्रश्न- "जमा द्रव्य ऋणों का सृजन करते हैं तथा ऋण जमा का सृजन करते हैं।" इस कथन को स्पष्ट कीजिए।
  73. प्रश्न- बैंक द्वारा साख सृजन पर प्रभाव डालने वाले घटकों की विवेचना कीजिए।
  74. प्रश्न- ब्याज दरों पर मुद्रा प्रसार के प्रभावों को बताइये।
  75. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक क्या है? इसके कार्यों का सविस्तार वर्णन कीजिए।
  76. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक के कार्यो का वर्णन कीजिए।
  77. प्रश्न- निम्नलिखित पर संक्षिप्त टिप्पणियाँ लिखिए-
  78. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक वित्त निगम का वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- भारत में विकास बैंकों के कार्यकरण का आलोचनात्मक मूल्याँकन कीजिए।
  80. प्रश्न- भारत में गैर बैंकिंग वित्तीय संस्थानों पर एक निबन्ध लिखिए।
  81. प्रश्न- भारत में गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों की प्रगति के क्या कारण हैं? इनकी क्या कमियाँ हैं? इन्हें दूर करने हेतु सुझाव भी दीजिए।
  82. प्रश्न- संस्थागत साख आवंटन की समस्या और नीतियों की व्याख्या कीजिए।
  83. प्रश्न- राज्य वित्तीय निगमों का संक्षिप्त परिचय देते हुए इनके कार्यों को बताइये।
  84. प्रश्न- भारतीय यूनिट ट्रस्ट पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  85. प्रश्न- विकास बैंक क्या है? विकास बैंक के प्रमुख कार्य लिखिए।
  86. प्रश्न- उद्योगों को वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं के नाम बताइये। भारत में विकास बैंकों की संरचना बताइये।
  87. प्रश्न- भारतीय औद्योगिक विकास बैंक किस प्रकार से औद्योगिक वित्त प्रदान करता है?
  88. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक की स्थापना, कार्यों तथा संचालित किये जाने वाले कार्यक्रमोंको समझाइये।
  89. प्रश्न- भारतीय निर्यात-आयात बैंक द्वारा विदेशी व्यापार के संवर्धन हेतु कौन-कौन से कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं?
  90. प्रश्न- राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक से आप क्या समझते हैं? नाबार्ड द्वारा कृषि एवं ग्रामीण विकास के क्षेत्र में क्या कार्य किये जाते हैं? इस बैंक की सफलताओं का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- भारत में विकास बैंक की मुख्य कमियाँ क्या हैं?
  92. प्रश्न- गैर-बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  93. प्रश्न- विकास बैंकों की प्रमुख विशेषताएँ बताइए।
  94. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के संगठन एवं कार्यो को समझाइये।
  95. प्रश्न- रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बैंकिंग सम्बन्धी प्रमुख कार्यों को बताइए।
  96. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की सफलताओं एवं असफलताओं का वर्णन कीजिए।
  97. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की असफलताओं पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  98. प्रश्न- साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? साख नियंत्रण की कौन-कौन सी विधियाँ हैं? साख नियंत्रण की परिमाणात्मक विधियों को समझाइये।
  99. प्रश्न- साख नियंत्रण की विधियाँ बताइये।
  100. प्रश्न- परिमाणात्मक या संख्यात्मक साख नियंत्रण से आप क्या समझते हैं? बैंक दर विधि को स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- खुले बाजार की क्रियाओं से क्या आशय है? इनके उद्देश्य एवं परिसीमाएँ बताइए।
  102. प्रश्न- नकद संचय अनुपात से आप क्या समझते हैं? तरल कोषानुपात विधि क्या है?
  103. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की वर्तमान साख नियंत्रण व्यवस्था का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  104. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की साख नियन्त्रण व्यास्था की क्या आलोचनायें हैं?
  105. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम, 1934 के मुख्य प्रावधानों का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की विद्यमान साख नियंत्रण यान्त्रिकी का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  107. प्रश्न- भारत में प्रशासित ब्याज दर का इतिहास लिखिए। भारत में ब्याज दरों के नियमन के क्या कारण हैं?
  108. प्रश्न- भारत में ब्याज दरों के विनियमन के क्या कारण हैं?
  109. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के विकासात्मक कार्य बताइए।
  110. प्रश्न- ब्याज दर किसे कहते हैं? विभिन्न प्रकार की ब्याज दरों को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- भारतीय अर्थव्यवस्था पर मुद्रा-स्फीति और मुद्रा-स्फीति के प्रभावों का वर्णन कीजिए।
  112. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक के वर्जित कार्य कौन-कौन से हैं? आर. बी. आई. किस प्रकार एन. बी. एफ. सी. का नियंत्रण करती है?
  113. प्रश्न- निम्नलिखित को परिभाषित कीजिए - (a) मौद्रिक नीति (b) बैंक दर (c) नकद कोषानुपात
  114. प्रश्न- भारतीय मौद्रिक नीति के उद्देश्य लिखिए।
  115. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक का उद्भव बताइए। रिजर्व बैंक साख सूचना कार्यालय क्या है?
  116. प्रश्न- साख नियंत्रण के विभिन्न उद्देश्यों को बताइये।
  117. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना कब हुई? इसके प्रमुख उद्देश्यों की विवेचना कीजिए।
  118. प्रश्न- भारत जैसे विकासशील देश के लिए उपयुक्त मौद्रिक नीति की रूपरेखा का सुझाव दीजिए।
  119. प्रश्न- भारतीय रिजर्व बैंक की शक्तियों पर एक लेख लिखिए।
  120. प्रश्न- भारतवर्ष में भावी ब्याज दरों की प्रत्याशाएँ लिखिए। भारत वर्ष में ब्याज दरों के विनियमन की सीमाएँ लिखिए।

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